अखिल भारतीय साहित्य परिषद्

साहित्यकार सम्मान

साहित्यकार सम्मान

साहित्यकारों का सम्मान साहित्य जगत की एक अनिवार्य आवश्यकता है। सम्मान व पुरस्कार साहित्यकार के लिये प्रेरणा व प्रोत्साहन का काम करते हैं। इससे उसे व उसके साहित्य को प्रसिद्धि प्राप्त होती है। इसके साथ ही परिषद् सभी भारतीय भाषाओं तथा उनके साहित्यकारों के लिये कार्य करने वाला संगठन है, इसलिये एक विचार के साहित्यकार एक साथ एकत्र आकर साहित्यिक चर्चा करे यह भी आवश्यक होता है। इसे कार्यरूप देने के लिये ‘सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान’ देने की योजना तैयार की गयी। भारत की प्रमुख भाषाओं के साहित्यकारों का चयन कर एक दिन, एक साथ, एक मंच पर भव्य समारोह में सम्मान देने का निश्चय किया गया। सम्मान समारोह के साथ ही विषय विशेष पर चर्चा आयोजित कर सम्मानित साहित्यकारों को अपनी बात रखने का तथा साहित्यप्रेमियों को उन्हें सुनने का अवसर दिया जाता है। अभी तक इस प्रकार के दो समारोह आयोजित किये जा चुके हैं।

प्रथम सम्मान समारोह: ‘सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह’ के अन्तर्गत सर्वप्रथम 2005 में दिल्ली में समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में 12 भाषाओं के चयनित साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। दिनांक 9-10 दिसम्बर 2005 को दिल्ली के हिन्दी भवन में दो दिवसीय समारोह आयोजित किया गया। पहले दिन ‘साहित्य का सामाजिक सरोकर’ विषय पर चर्चा की गई। इस चर्चा सत्र की अध्यक्षता की इतिहासकार प्रो. देवेन्द्रस्वरूप जी ने और सम्मानित साहित्यकारों ने चर्चा के विषय पर अपने विचार रखे। दूसरे दिन साहित्यकारों का सम्मान किया गया। मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक कुप.सी. सुदर्शन जी। विशिष्ट अतिथि थे प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ.  नरेन्द्र कोहली और अध्यक्ष थे दिल्ली के उद्योगपति श्री एस.डी.अग्रवाल। मंचस्थ अतिथियों ने – 1. डॉ.  भास्कर गिरधारी नासिक (मराठी भाषा), 2. डॉ.  धु्रव भट्ट अहमदाबाद (गुजराती भाषा), 3. के. सुन्दरम् चेन्नई (तमिल भाषा), 4. बसन्त कुमार पंडा भुवनेश्वर (उड़िया भाषा), 5. डॉ.  सदानन्द गुप्त गोरखपुर (हिन्दी भाषा), 6. श्री अश्विनी गुप्ता मोगा (पंजाबी भाषा), 7. मिथुन चक्रवर्ती बेंगलूरू (कन्नड़ भाषा), 8. सुरेश बबलानी अजमेर (सिंधी भाषा), 9. असमिया भाषा के श्री नबीन चन्द्र शर्मा, 10. तेलुगु भाषा के श्री आर.वी. प्रसाद राजू, 11.  बंगला भाषा के डा. दिनेश चन्द्र सिन्हा,  12. मलयालम भाषा के श्री पी.आर. नाथन। को शाल, श्रीफल, स्मृति-चिन्ह और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

द्वितीय सम्मान समारोह :  दूसरा सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह 18-19 अक्टूबर 2012 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया। इस बार 14 भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को ‘सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान’ से सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान को ‘संस्कृति वत्सल सम्मान’ से अलंकृत किया गया।
दिनांक 19 अक्टूबर को विज्ञान भवन के मुख्य सभागार में दोपहर 11 बजे सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह शुरू हुआ। साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक माननीय मोहनजी भागवत विशेष रूप से पधारे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने की और विशिष्ट अतिथि थे मध्यप्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा। औपचारिकता के पश्चात् अतिथियों ने ‘सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान’ से – 1. प्रा. सुदीप बासु शांतिनिकेतन (बंगाली भाषा), 2. श्री रमेश पतंगे मुंबई (मराठी भाषा), 3. प्रो. टी.वी.कट्टमणि धारवाड़ (कन्नड़ भाषा), 4. श्री एस. रमेशन् नायर कोच्चि (मलयालम भाषा), 5. प्रो. श्रीमती एस. शेषारत्नम् विशाखापत्तनम् (तेलगु भाषा) 6. डॉ.  नागेन्द्र नाथ प्रधान भुवनेश्वर (उड़िया भाषा), 7. प्रो. मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी इन्दौर (संस्कृत भाषा), 8. डॉ.  जयगोपाल कोछर मोहाली (पंजाबी भाषा), 9. डॉ.  यतीन गोस्वामी गुवाहाटी (असमी भाषा), 10. श्रीमती वन्दना भट्ट बड़ोदरा (गुजराती भाषा), 11. डॉ.  एम.गोविन्दराजन प्रयाग (तमिल भाषा), 12. डॉ. मोहनलाल सर गुड़गांव (कश्मीरी भाषा), 13. श्री ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी फैजाबाद (सिंधी भाषा), 14. डॉ.  नरेन्द्र कोहली दिल्ली (हिन्दी भाषा) को शाल, श्रीफल, स्मृतिचिन्ह और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

‘संस्कृति वत्सल अलंकरण’ समारोह: सम्मान समारोह के तीसरे चरण में सायं काल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को ‘संस्कृति वत्सल अलंकरण’ से अलंकृत किया गया। रवीन्द्र भवन के भव्य सभा भवन को विशेष रूप से सजाया गया था। सम्मानित साहित्यकार, प्रदेश सरकार के अनेक मंत्री तथा साहित्य प्रमियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को पूजनीय सरसंघचालक माननीय मोहन भागवत जी ने शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अटलबिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति डॉ.  मोहनलाल छीपा ने की। विशिष्ट अतिथि थे मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा।

अप्रवासी साहित्यकार सम्मान: बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग विदेशों में बस गये हैं। फिर भी वे भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के प्रति प्रेम रखते हैं। इतना ही नहीं भारतीय भाषाओं में साहित्य रचनाएं भी करते हैं। भारतीय भाषाओं के ऐसे साहित्यकारों को परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। ग्वालियर एवं राजकोट में प्रतिवर्ष इस प्रकार के आयोजन किये जाते हैं।

हिन्दी सेवी (विदेशी) साहित्यकार सम्मान: ऐसे विदेशी बंधु भी हैं जो भारतीय भाषाओं का अध्ययन कर रहे हैं। हिन्दी भाषा सीख रहे ऐसे विदेशी बंधुओं के सम्मान के कार्यक्रम किये जाते हैं। देश के विश्वविद्यालयों तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के माध्यम से ऐसे लोगों से सम्पर्क किया जाता है। ग्वालियर में सितम्बर मास में इसका आयोजन विशेष रूप से किया जाता है।

अन्य सम्मान आयोजन: परिषद् के अधिकारी, कार्यकर्ता व सदस्य की अति विशिष्ट उपलब्धि अथवा विशिष्ट अवसर पर उनके सम्मान का आयोजन किया जाता है। उदाहरणार्थ परिषद् के संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा प्राच्य विद्या साहित्य लेखन के लिये दिया जाने वाला 2015 का सम्मान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति भवन में प्रदान किया गया और विश्व हिन्दी सम्मेलन द्वारा ‘विश्व हिन्दी सेवी सम्मान 2017 मारीशस में आयोजित विश्वहिन्दी सम्मेलन के अवसर पर मारीशस के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था। यह सम्मान एक प्रकार से साहित्य परिषद् की ही उपलब्धि थे। अतः इस निमित्त देश में अनेक स्थानों पर श्रीधर पराडकर के सम्मान समारोहों का आयोजन कर परिषद् के कार्य को विस्तार दिया गया।

तृतीय साहित्यकार सम्मान समारोह