परिषद् के कार्य
परिषद् के कार्य
राष्ट्र निर्माण की विराट् प्रक्रिया में सहभागिता को दृष्टि में रख कर साहित्यकारों एवं मनीषियों के संकल्प-बद्ध सामर्थ्य का संचय एवं निर्माण तथा भारतीय जीवन मूल्यों के प्रति आवश्यक आस्थावान सर्जनात्मक-दृष्टि का विकास एवं भारतीय वाङग्मय तथा भाषाओं की सर्वभावेन प्रतिष्ठा करना। इसके लिये स्थान-स्थान पर परिषद्की इकाई खड़ी करना। स्थानीय इकाई से लेकर प्रान्त और राष्ट्रीय स्तर तक सुदृढ़ संगठन खड़ा करना। इसके माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिये आस्थावान, राष्ट्रानुराग सम्पन्न साहित्यिकों का संकल्प बद्ध सामर्थ्य खड़ा करना। परिषद् का क्षेत्र साहित्य का क्षेत्र है इसलिये विषय पर अधिकारिक ज्ञान, तर्कसंगत प्रस्तुतिकरण और निरन्तर सीखने की मानसिकता का विकास करना। यह सब करने के लिये सम्पर्क तथा सदस्यता। प्रत्येक स्तर पर कार्यकारिणी का गठन।
परिषद् के कार्यों का विभाजन मुख्यतः चार प्रकार से हैं : 1. रचनात्मक, 2. विचारात्मक, 3. संगठनात्मक तथा 4. शोध कार्य ।
१) रचनात्मक कार्य : इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना से अनुप्राणित नया साहित्य सृजन, साहित्य की सकारात्मक प्रस्तुति को बढ़ावा देने तथा साहित्य के प्रति जनरुचि जाग्रत करने के कार्यक्रम आते हैं।
क. काव्य गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, काव्य पाठ प्रतियोगिता आदि।
ख. साहित्यकार सम्मेलन, साहित्यकार सम्मान समारोह, नवोदित प्रतिभा पुरस्कार आदि।
ग. रचनात्मक साहित्य प्रकाशन।
घ. कहानी, कविता, निबन्ध लेखन आदि प्रतियोगिताएँ
ङ. रचना शिविर, कार्यशाला आदि।
च. पुस्तकों के प्रचार-प्रसार के निमित्त पुस्तकों के लोकार्पण कार्यक्रम।
छ. साहित्यकार को नये विषय उपलब्ध कराने, अपने देश व संस्कृति से परिचित कराने के लिये साहित्यिक यात्राओं के माध्यम से अवसर उपलब्ध कराना। यात्रावृत्त लेखन के लिये प्रोत्साहित करना। लेखन को प्रकाशित कर प्रचारित व प्रसारित करना।
२) विचारात्मक कार्य : इसमें साहित्य में प्रतिबिम्बित भारतीय चिन्तन को जनमानस में उतारने के लिये पूर्वलिखित साहित्य के विश्लेषण, मूल्याकंन साहित्यिक दृष्टि विकसित करने के कार्यक्रम।
क. पुस्तक समीक्षा गोष्ठी।
ख. साहित्यकारों एवं साहित्यिक विषयों पर विचार गोष्ठी।
ग. साहित्यकारों की जयन्ती एवं पुण्यतिथि।
घ. भारत की प्रान्तीय भाषाओं में साहित्य पर आधारित विचार गोष्ठियाँ।
ङ. भारतीय चिन्तन के परिप्रेक्ष्य में साहित्य के सिद्धान्तों और विचारधाराओं से सम्बन्धित परिचर्चा।
च. भारतीय चिन्तन और साहित्य से सम्बद्ध पुस्तकों का प्रकाशन।
छ. साहित्य और समाज के सम्बन्धों पर आधारित विषयों पर प्रतियोगिताएँ।
ज. विशिष्ट साहित्यकारों के प्रसार-भाषण आदि।
३) संगठनात्मक कार्य : प्रत्येक स्तर पर साहित्य परिषद् का राष्ट्रीय स्वरूप तथा कार्य विस्तार का प्रत्यक्ष दर्शन कराना। वैचारिक अधिष्ठान सुदृढ़ कर कार्यकर्त्ता के सामर्थ्य को विकसित करने के कार्यक्रम।
क. कार्यकर्त्ता अभ्यास व प्रशिक्षण वर्ग।
ख. अधिवेशन।
ग. कार्यकारिणी बैठकें।
घ. कार्यकर्त्ताओं की बैठकें।
ङ. सम्मेलन।
४) शोध कार्य :
शोध कार्य प्रमुख दिशाएँ:
क. संकलनात्मक: प्रत्येक इकाई द्वारा अपने क्षेत्र में लिखित आधुनिक साहित्य (सभी विधाएँ) की प्रामाणिक सूची तैयार करना तथा प्रान्तीय परिषद् द्वारा उन्हें संकलित कर साहित्यकार-कोश का प्रकाशन।
ख. तुलनात्मक: प्रान्तीय भाषाआं के साहित्य और साहित्यकारों के तुलनात्मक अध्ययन से भारतीय साहित्य की एकात्मकता की गवेषणा।
ग. अवधारणात्मक: दर्शन, संस्कृति व साहित्य के आधार पर भारतीयता की अवधारणा पर शोधकार्य।
घ. भाषा वैज्ञानिक: राष्ट्रभाषा हिन्दी के संदर्भ में प्रान्तीय भाषाआंे का भाषावैज्ञानिक अध्ययन।