अखिल भारतीय साहित्य परिषद्

गरीब और असाहयों की सहयता

तत्काल जीवनरक्षक सहायता प्रदान करने में सहायता करें।

गरीब और असाहयों की सहयता

तत्काल जीवनरक्षक सहायता प्रदान करने में सहायता करें।
जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। जीवन में तमाम दुश्वारियों के होते लोगों को दूसरे की मदद करते हैं। ऐसे लोगों को समाज में एक अलग ही नजरिए से देखा जाता है। जवाहरपुरी निवासी ज्योति ने एक मिसाल कायम की है। वे कहती हैं जब ईश्वर हमें मनुष्य का जन्म दिया तब ही उसने हमें इस लायक बना दिया और इस जीवन को लोगों की मदद में लगाना चाहिए। मदद न करने के लिए बहाने तो लाखों मिल जाते हैं पर एक बार किसी की मदद कर जो सुकून मिलता है।

वह तमाम ऐशोआराम आपको नहीं दे सकते। उनके इस विचार का समर्थन उनका पूरा परिवार करता है और प्रत्येक रविवार को शहर के इंदिरा चौक पर स्टॉल लगाकर वे गरीबों व असहाय लोगों को भोजन कराते आ रहे हैं। उन्होंने बताया उनके इस कार्य के लिए प्रेरणा उनकी बेटी तृषा है।